C.M. धामी का ऐलान जितना भी हो विरोध, साल के अंत तक जाएंगे समान नागरिक संहिता, एक समान होंगे उत्तराखंड में सभी नागरिक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हमें एक बड़ा अपडेट दिया जा रहा है। उन्होंने समान नागरिक संहिता को लेकर एक जानकारी दी है।उन्होंने साफ कहा कि हम कानूनी संवैधानिक व्यवस्था के तहत इसी साल राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू करेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कई मुद्दों पर बात की।

उत्तराखंड की तर्ज पर जल्द ही आएगा देश में भी यूसीसी

एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में सीएम धामी ने कहा कि जनता की मांग पर देश में समान नागरिक कानून होना चाहिए। इसकी शुरुआत उत्तराखंड से होगी। उत्तराखंड में सभी लोग एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहते हैं।

मीडिया में आए दिन ऐसी कई खबरें आती रहती हैं कि लोगों को धोखा देकर, लालच देकर और गुमराह करके धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए इसे रोकना जरूरी है।

उत्तराखंड उत्कृष्ट कानून व्यवस्था वाला एक शांतिपूर्ण राज्य है। पिछले कुछ समय से लोग यहां अवैध रूप से बस रहे हैं, जिसके कारण जनसांख्यिकीय परिवर्तन भी देखा गया है। उत्तराखंड में किसी को भी कानून व्यवस्था अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

प्रदेश में जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठकर अतिक्रमण हटाया जा रहा है। अब तक 3000 हेक्टेयर वन भूमि से अतिक्रमण हटाया जा चुका है.।मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 2014 और 2019 के चुनाव की तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में भी हमें जनता का आशीर्वाद मिलेगा।

आपको बता दें कि पिछले साल चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही थी। समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के लिए मसौदा तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय मसौदा समिति का गठन किया गया था।

मसौदे में बहुविवाह/बहुपति प्रथा पर प्रतिबंध लगाने, महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने, बच्चे को गोद लेने के लिए समान कानून और मुस्लिम महिलाओं के लिए माता-पिता की संपत्ति में समान हिस्सेदारी की सिफारिश की गई है।

समान नागरिक संहिता की राज्य की पहल आगामी लोकसभा और इस साल राज्य में प्रस्तावित नगर निगम चुनाव के लिहाज से काफी अहम हो सकती है।

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