उत्तराखंड की इस योजना से युवाओं को होगा लाखो का लाभ, शहद बनाने से स्वरोजगार भी बढ़ा

उत्तराखंड में बेरोजगारी की समस्या से हर कोई वाकिफ है और इसका राज्य पर क्या असर पड़ रहा है। आज के समय में इतना पढ़ा-लिखा व्यक्ति बेरोजगार बैठा है।जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ी है कि हर किसी को रोजगार मिलना लगभग असंभव हो गया है। ऐसे में युवा स्वरोजगार का रास्ता चुन रहे हैं, ये बात पहाड़ के युवाओं को काफी आकर्षित कर रही है. सरकार भी युवाओं की मदद के लिए हमेशा तैयार है। स्वरोजगार के बढ़ते क्रेज के बीच सीएम धामी ने एक बड़ी पहल की है।

चंपावत में खनन प्रभावित शेत्रो में शुरू शहद की पैदावार

बागवानी विभाग युवाओं को शहद की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है, साथ ही उन्हें इस शहद को बनाकर बेचने का अवसर भी प्रदान कर रहा है। डीएम के निर्देश पर खनिज न्यास निधि से पहली किस्त के रूप में उद्यान विभाग को 23.1768 लाख रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। इस पैसे का इस्तेमाल युवाओं को ट्रेनिंग देने में किया जाएगा।

दरअसल, चंपावत में मधुमक्खी पालन की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। वर्तमान में सूखीढांग क्षेत्र के कई गांवों के साथ-साथ लधियाघाटी, पंचेश्वर और रामेश्वर जैसे घाटी क्षेत्रों में भी शहद का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। शहद पालन की अपार संभावनाओं को देखने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने चंपावत जिले को शहद उत्पादन के क्षेत्र में राज्य का अग्रणी जिला बनाने के निर्देश प्रशासन को दिए हैं।

एक ही जगह से मिल रहा कई किस्म का शहद

यहां के कई निवासी बड़े पैमाने पर व्हाइट हनी, मल्टी प्लोरा, बिटर हनी, क्रीम हनी और हनीकॉम्ब हनी का उत्पादन कर रहे हैं। सूखीढांग जैसी जगहें हॉटस्पॉट बनती जा रही हैं और यहां का शहद दिल्ली और मुंबई के अलावा पिथौरागढ़, अल्मोडा, नैनीताल, बागेश्वर, देहरादून तक सप्लाई किया जा रहा है। सीएम धामी के आदेश पर चंपावत, लोहाघाट, बाराकोट और पूर्णागिरि तहसीलों में इच्छुक युवाओं को शहद की खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसके बाद ये युवा स्वरोजगार कर अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकेंगे।

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